
भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। लेकिन स्वास्थ्य के मोर्चे पर देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। बीते कुछ वर्षों में गैर-संक्रामक रोग यानी कैंसर, श्वसन रोग (सांस की बीमारी) और हृदय रोग जैसी समस्याओं ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है। सवाल यह है कि इन तीन बड़ी बीमारियों में से भारत में सबसे ज्यादा मौतें किस वजह से होती हैं?
हृदय रोग: सबसे बड़ा खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय संबंधी बीमारियां (Cardiovascular Diseases) हैं। अनुमान है कि हर साल भारत में करीब 28% से 30% मौतें हृदय रोगों के कारण होती हैं। दिल का दौरा (हार्ट अटैक), स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी जटिलताएं इसमें प्रमुख कारण हैं। असंतुलित जीवनशैली, फास्ट फूड की अधिकता, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान और तनाव जैसे कारक इस बीमारी को और बढ़ा रहे हैं।
भारत में दिल की बीमारी अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। बड़ी संख्या में 40–50 वर्ष के बीच के लोग भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। शहरी इलाकों में कामकाजी जीवन की व्यस्तता, और ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी दोनों ही स्थिति को और खतरनाक बना रहे हैं। तंबाकू का सेवन भारत में कैंसर की सबसे बड़ी वजह है। अकेले तंबाकू से जुड़े कैंसर के कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं।
कैंसर की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह अक्सर देर से पता चलता है, जब इलाज मुश्किल और खर्चीला हो जाता है। हालांकि सरकारी स्तर पर “राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम” चल रहा है, लेकिन ग्रामीण और छोटे कस्बों में अभी भी सही इलाज तक पहुंच सीमित है।
श्वसन रोग: प्रदूषण और जीवनशैली से बढ़ती समस्या भारत में श्वसन संबंधी बीमारियां (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज – COPD, अस्थमा और फेफड़ों के संक्रमण) भी मौत का एक बड़ा कारण हैं।
अनुमान है कि करीब 10% मौतें श्वसन रोगों से होती हैं।
देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। दिल्ली, पटना, कानपुर, लखनऊ जैसे शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं। धूम्रपान और इनडोर एयर पॉल्यूशन (लकड़ी या गोबर के चूल्हे से निकलने वाला धुआं) भी फेफड़ों की बीमारियों को बढ़ा रहे हैं। श्वसन रोग सिर्फ मौत का कारण नहीं बनते, बल्कि लंबे समय तक मरीजों की कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर देते हैं।
अगर हम तीनों बीमारियों की तुलना करें तो तस्वीर साफ हो जाती है—
हृदय रोग: सबसे ज्यादा मौतें (लगभग 28-30%)
कैंसर: दूसरा स्थान (करीब 9-10%)
श्वसन रोग: तीसरा स्थान (लगभग 8-10%)
इसका मतलब है कि भारत में हर 3 में से 1 मौत का कारण दिल की बीमारी है। यानी कैंसर और सांस की बीमारियों की तुलना में हार्ट से जुड़ी समस्याएं सबसे ज्यादा जान ले रही हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं ये रोग?
जीवनशैली में बदलाव – जंक फूड, शारीरिक निष्क्रियता और तनाव।
तंबाकू व शराब का सेवन – कैंसर और हार्ट दोनों में बड़ा कारण।
प्रदूषण – खासकर श्वसन रोगों में।
स्वास्थ्य जांच की कमी – लोग नियमित चेकअप नहीं कराते, जिससे बीमारियां देर से पकड़ में आती हैं।
आर्थिक और सामाजिक असमानता – ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी।
समाधान और आगे की राह
जागरूकता अभियान: दिल, कैंसर और सांस की बीमारियों के लक्षण और रोकथाम के बारे में लोगों को जानकारी होनी चाहिए।
जीवनशैली में सुधार: संतुलित आहार, योग, नियमित व्यायाम और तनाव कम करना जरूरी है।
धूम्रपान पर नियंत्रण: तंबाकू और धूम्रपान पर कड़े कानून लागू करने होंगे।
प्रदूषण नियंत्रण: सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रदूषण पर रोक लगानी होगी।
नियमित स्वास्थ्य जांच: 30 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार हार्ट और कैंसर से जुड़ी जांच करानी चाहिए।
भारत में आज सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से हो रही हैं, जो कैंसर और श्वसन रोगों की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। हालांकि कैंसर और सांस की बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और आम नागरिक अगर मिलकर समय रहते कदम उठाएं, तो इन बीमारियों से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।