
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीज़ा को लेकर बड़ा ऐलान किया है। अब नए H-1B वीज़ा आवेदकों को सालाना 1,00,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) फीस चुकानी होगी। इस फैसले का सीधा असर भारतीय IT सेक्टर और शेयर बाजार पर देखा जा रहा है। ट्रम्प के इस ऐलान के बाद भारतीय IT कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। इन्फोसिस और विप्रो जैसी दिग्गज कंपनियों के अमेरिकी बाजार (ADR) में लिस्टेड शेयरों में 2 से 4 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

H-1B वीज़ा भारतीय IT पेशेवरों के लिए लंबे समय से अमेरिका में रोजगार का बड़ा माध्यम रहा है। हर साल हजारों भारतीय इस वीज़ा पर अमेरिका जाते हैं। नई फीस छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों के लिए बड़ा बोझ साबित हो सकती है। इसके चलते कई कंपनियां विदेश में नियुक्तियों पर पुनर्विचार कर सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम खासकर भारतीय स्टार्टअप्स और मंझोली IT कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। ऊंची फीस का दबाव उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता को प्रभावित कर सकता है और अमेरिकी बाजार में उनके अवसरों को सीमित कर सकता है।भारतीय शेयर बाजार में भी इस फैसले का असर साफ दिखाई दिया है। IT सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई और निवेशकों में सतर्कता बढ़ी है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में इस फैसले से पूरे सेक्टर में अस्थिरता बनी रह सकती है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि H-1B फीस बढ़ाने का यह कदम न केवल पेशेवरों और कंपनियों को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत-अमेरिका के कारोबारी रिश्तों पर भी असर डाल सकता है।