
छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 10 बच्चों की मौत का मामला अब और गंभीर हो गया है। पुलिस ने इस घटना में शामिल डॉक्टर और तमिलनाडु की एक दवा कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जांच में सामने आया कि बच्चों को जो सिरप दिया गया था, उसका नाम “Coldrif” है। यह सिरप तमिलनाडु की Sresan Pharmaceuticals कंपनी ने बनाया था। जब इस सिरप की जांच की गई, तो इसमें ज़हरीला केमिकल डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) पाया गया।

यह केमिकल शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है और किडनी फेल जैसी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर प्रवीण सोनी ने बच्चों को यह सिरप लिखकर दिया था। जब यह बात सामने आई कि इसी सिरप के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ी और मौत हुई, तो डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया।
अब पुलिस ने दवा बनाने वाली कंपनी के डायरेक्टर और मैनेजर के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने दवा बनाते समय सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा। राज्य सरकार ने तुरंत इस सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है और कहा है कि बाजार में जो भी Coldrif सिरप का स्टॉक है, उसे तुरंत वापस लिया जाए। इसके अलावा, अन्य दवाओं की भी जांच शुरू कर दी गई है ताकि ऐसी गलती दोबारा न हो।

इस घटना के बाद पूरे राज्य में लोगों में गुस्सा है। कई माता-पिता अब बच्चों को दवा देने से पहले उसका नाम और कंपनी ध्यान से देख रहे हैं। यह घटना याद दिलाती है कि दवा की सुरक्षा और डॉक्टरों की जिम्मेदारी कितनी जरूरी है, क्योंकि एक छोटी लापरवाही कई मासूम जिंदगियों को छीन सकती है।