
भारत की 19 वर्षीय युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने इतिहास रच दिया है। महिला चेस वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम कर उन्होंने न सिर्फ भारत का नाम रोशन किया, बल्कि भारतीय महिला शतरंज को एक नई ऊँचाई पर भी पहुँचा दिया। खास बात ये रही कि फाइनल में उन्होंने भारत की ही दिग्गज खिलाड़ी और अंतरराष्ट्रीय शतरंज की अनुभवी नाम कोनेरू हंपी को हराया।
दिव्या अब महिला वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। यह जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह देश की युवा प्रतिभा और महिला खेलों की बढ़ती ताकत का प्रतीक भी है।

एक नजर उनकी उपलब्धियों पर
इस जीत के साथ दिव्या देशमुख भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं और चौथी भारतीय महिला जिन्हें यह सम्मान मिला है (हम्पी, हरिका, व र वैशाली के बाद)। इस फाइनल तक पहुँचते उनकी यात्रा प्रेरणादायी थी: उन्होंने सेमीफाइनल में चीन की पूर्व वर्ल्ड चैंपियन तान झोंगयी को हराकर फाइनल में प्रवेश किया—यह भारत की पहली महिला ऐसी मुकाम पर पहुंची है। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में हरिका द्रोनावल्लि को भी मात दी, और पहले राउंडों में उच्च रैंक्ड खिलाड़ियों को चौंका दिया।
इस जीत के साथ दिव्या ने Women’s Candidates Tournament 2026 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है, जिससे वो Women’s World Championship में चुनौती पेश कर सकती हैं । Viswanathan Anand सहित कई वरिष्ठ ग्रैंडमास्टरों ने उनकी प्रशंसा की है, इस उपलब्धि को भारतीय शतरंज के लिए माइलस्टोन करार दिया।
दिव्या देशमुख की जीत सिर्फ एक शतरंज मुकाबले की जीत नहीं है, यह हर उस लड़की की जीत है जो बड़े सपने देखती है और उन्हें पूरा करने का हौसला रखती है। भारत को आज एक और चैंपियन मिल गई है—दिमाग की बिसात पर दुनिया को मात देने वाली दिव्या देशमुख
