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Delhi Stray Dogs: दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर नगर निगम ने उठाया बड़ा कदम, 12 जोन में बनेंगे शेल्टर

Delhi Stray Dogs: दिल्ली की सड़कों पर आवारा कुत्तों की संख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। कभी यह मासूम चेहरे वाले प्यारे से पालतू जैसे लगते हैं, तो कभी अचानक आक्रामक होकर लोगों को डराने लगते हैं। ऐसे में आम नागरिकों और पशु प्रेमियों के बीच अक्सर यह बहस छिड़ी रहती है कि इन बेजुबान जीवों की सुरक्षा के साथ-साथ इंसानों की सुरक्षा भी कैसे सुनिश्चित की जाए।

इसी बीच, दिल्ली नगर निगम (MCD) ने एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। अब राजधानी के 12 जोनों में विशेष शेल्टर (आश्रय गृह) बनाए जाएंगे, जहां आवारा कुत्तों को सुरक्षित तरीके से रखा जाएगा। यह कदम न केवल शहर की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करेगा, बल्कि पशु कल्याण के क्षेत्र में भी मिसाल पेश करेगा।

दिल्ली में आवारा कुत्तों पर काबू के लिए एमसीडी की नई योजना 🐕‍🦺

12 जोनों में बनेंगे डॉग शेल्टर
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक नई योजना बनाई है। इसके तहत शहर के सभी 12 जोनों में डॉग शेल्टर (आश्रय स्थल) बनाए जाएंगे, जहाँ इन कुत्तों की देखभाल और प्रबंधन किया जाएगा।

हेल्पलाइन नंबर से मिलेगी तुरंत मदद
जल्द ही एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा, जिस पर कॉल करके लोग अपने इलाके में आवारा कुत्तों की जानकारी एमसीडी को दे सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि इस सुविधा से समस्या पर तेजी से कार्रवाई संभव होगी।

हर महीने 10,000 कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण
अभी एमसीडी हर महीने लगभग 10,000 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कर रही है। इस अभियान में कई एनजीओ भी शामिल हैं और आगे और संगठनों को जोड़ा जाएगा ताकि प्रक्रिया और तेज हो सके।

क्यों जरूरी था यह कदम?
दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या नई नहीं है। अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर में 1.5 से 2 लाख तक स्ट्रे डॉग्स मौजूद हैं। इनमें से कई बीमार होते हैं, कई को पर्याप्त खाना नहीं मिलता और कई आक्रामक व्यवहार के कारण इंसानों को नुकसान पहुंचाते हैं।

दिल्ली में 12 जोन में डॉग शेल्टर बनाना सिर्फ आवारा कुत्तों के लिए नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन बनाते हुए एक बेहतर, सुरक्षित और मानवीय समाज की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर यह योजना सही तरह से लागू हुई तो आने वाले वर्षों में दिल्ली न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर और राजनीतिक राजधानी के रूप में जानी जाएगी, बल्कि “पेट-फ्रेंडली सिटी” के रूप में भी पहचान बनाएगी।

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