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डर से उम्मीद की ओर: एम्स दिल्ली में कैंसर का इलाज कराने वाले 75% बच्चे हो रहे ठीक

कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर और निराशा घर कर जाती है। खासकर जब यह बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले ले, तो परिवार के लिए यह और भी कठिन हो जाता है। लेकिन अब इस अंधकार के बीच उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। एम्स दिल्ली (AIIMS Delhi) के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बाल कैंसर (Childhood Cancer) के इलाज में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, यहां इलाज कराने वाले बच्चों में से लगभग 75% बच्चे कैंसर को मात देकर स्वस्थ हो रहे हैं।

बाल कैंसर पर बड़ी सफलता

एम्स दिल्ली देश का सबसे बड़ा और प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, जहाँ हर साल हजारों बच्चे इलाज के लिए आते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में कैंसर के इलाज के तरीकों और दवाओं में काफी प्रगति हुई है। अब कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी और सर्जरी के साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी और टारगेटेड थेरैपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से बच्चों की “सर्वाइवल रेट” (जीवित रहने की संभावना) पहले से कई गुना बढ़ गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पहले कैंसर को लेकर लोग इलाज कराने में देर कर देते थे। लेकिन अब जागरूकता बढ़ने से माता-पिता समय पर बच्चों को अस्पताल लाते हैं। समय रहते सही उपचार मिलने से बच्चों के ठीक होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

कैंसर के इलाज में चुनौती और उम्मीद

बच्चों में कैंसर की पहचान करना कई बार मुश्किल होता है, क्योंकि शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य बीमारियों जैसे लगते हैं। कमजोरी, बुखार, वजन घटना, खून की कमी या हड्डियों में दर्द जैसे लक्षण कई बार कैंसर के संकेत हो सकते हैं। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि अगर माता-पिता समय पर इन संकेतों को पहचान लें और विशेषज्ञों की सलाह लें, तो बीमारी को शुरुआती स्टेज में ही नियंत्रित किया जा सकता है।

डॉक्टरों ने यह भी बताया कि बच्चों में कैंसर का इलाज बड़ों की तुलना में अलग तरह से किया जाता है। छोटे मरीजों की शारीरिक क्षमता, इम्यून सिस्टम और दवाओं पर प्रतिक्रिया अलग होती है। इसी वजह से उनके लिए विशेष प्रोटोकॉल और निगरानी की आवश्यकता होती है।

परिवार और समाज की भूमिका

एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल दवा और इलाज ही काफी नहीं है। बच्चों को मानसिक सहारा, परिवार का प्यार और सामाजिक सहयोग भी उतना ही जरूरी है। कई परिवार इलाज के दौरान आर्थिक और मानसिक दबाव झेलते हैं। इस स्थिति में अस्पताल की काउंसलिंग टीम और सपोर्ट ग्रुप बच्चों और माता-पिता को साहस देते हैं।

जागरूकता से बदलेगी तस्वीर

भारत में हर साल हजारों बच्चे कैंसर से प्रभावित होते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि आज यह बीमारी लाइलाज नहीं रही। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर लक्षणों की पहचान जल्दी हो जाए और इलाज समय पर शुरू कर दिया जाए, तो बच्चों की जान बचाई जा सकती है। एम्स दिल्ली की 75% सफलता दर इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हार सकती है।

कभी कैंसर को सुनते ही जहां लोग डर से टूट जाते थे, वहीं अब इलाज और तकनीक की प्रगति से उम्मीद का नया सूरज उग रहा है। एम्स दिल्ली की यह सफलता न केवल बच्चों और उनके परिवारों के लिए राहत की खबर है, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। संदेश साफ है— कैंसर से लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन हारना ज़रूरी नहीं। समय पर जांच, सही उपचार और परिवार का सहयोग— यही है जीवन बचाने की कुंजी।

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