
भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, 2030 तक भारत में 8 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं. ये सिर्फ एक ब्लड शुगर की बीमारी नहीं, बल्कि एक ‘साइलेंट किलर’ है, जो शरीर के कई अंगों को चुपचाप नुकसान पहुंचाता रहता हैं. खासकर से मरीज की आंखों को.
डायबिटीज का आंखों पर सबसे बड़ा वार
डायबिटीज के चलते शरीर में ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है. यही असंतुलन सबसे पहले शरीर की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं यानी माइक्रों ब्लड वेसल्स को प्रभावित करता है, जो आंखों के रेटिना में पाई जाती हैं.

डायबिटीज से आंखों की कौन सी बीमारियां होती हैं?
डायबिटीज से आंखों की कई बीमारियां होती है, इसमें से तो कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिसका समय रहते इसका इलाज ना हो तो व्यक्ति की आंखों की रोशनी तक जा सकती है. आइए एक नजर इस पर डालते हैं
- डायबिटिक रेटिनोपैथी: इस बीमारी में आंखों की रेटिना की रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. जिससे धुंधलापन, धब्बे दिखना, या अंधापन हो सकता है.
- ग्लूकोमा: ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वजह से आंखों के अंदर दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है.
- कैटरैक्ट: कैटरैक्ट को सफेद मोतियाबिंद कहते हैं. अगर किसी मरीज को डायबिटीज हो तो उसके कारण कैटरैक्ट होने का खतरा बढ़ जाता. कैटरैक्ट की वजह से आंखों के लेंस जल्दी धुंधले हो जाते हैं.
- ब्लरी विजन (धुंधली नजर): डायबिटीज में शुगर लेवल बार-बार बदलने से नजर अस्थायी रूप से कमजोर हो सकती है. सबकुछ धुंधला सा नजर आता है.

ये लक्षण दिखें तो तुरंत हो जाएं
-अचानक धुंधला दिखना
-नजर कमजोर होना या चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ना
-आंखों में बार-बार संक्रमण या सूजन
-रेटिना से खून आना या काले धब्बे दिखना
अगर ये लक्षण नजर आएं तो बिना देर किए नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच कराना जरूरी है.
