
मिर्गी (Epilepsy) एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसमें दिमाग की कोशिकाओं की असामान्य गतिविधि के कारण बार-बार दौरे (seizures) पड़ते हैं। भारत सहित दुनिया भर में करोड़ों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या मिर्गी विरासत में यानी माता–पिता से बच्चों में भी आ सकती है? आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय।
क्या मिर्गी अनुवांशिक (Genetic) होती है?
न्यूरोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, मिर्गी की कुछ प्रकार की बीमारियां जेनेटिक कारणों से होती हैं, यानी परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या हो तो बच्चों में भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
हालांकि हर केस में ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में मिर्गी की वजह स्ट्रोक, सिर में चोट, दिमागी संक्रमण या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हो सकती हैं।
रिसर्च के अनुसार, अगर माता–पिता दोनों को मिर्गी है तो बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है, लेकिन अगर केवल एक माता या पिता को है तो रिस्क अपेक्षाकृत कम हो जाता है।
बच्चों में मिर्गी के लक्षण
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बच्चों में मिर्गी के दौरे वयस्कों से थोड़े अलग हो सकते हैं। आम लक्षण इस प्रकार हैं:
बार-बार बिना वजह बेहोश होना या गिर जाना
शरीर का अकड़ जाना और झटके लगना
आंखों का बार-बार ऊपर चढ़ जाना
अचानक से चुप हो जाना या ध्यान भटक जाना
नींद के दौरान अजीब हरकतें
रोकथाम और सावधानियां
गर्भावस्था के दौरान मां का स्वास्थ्य ठीक रखना और किसी भी न्यूरोलॉजिकल समस्या का इलाज कराना बेहद ज़रूरी है।
अगर परिवार में मिर्गी का इतिहास है तो बच्चों पर शुरुआती उम्र से ही ध्यान दें और लक्षण दिखने पर तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
दवाइयों को नियमित रूप से लेना और डॉक्टर की सलाह मानना इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल में रख सकता है।
एक्सपर्ट्स की राय
न्यूरोलॉजी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मिर्गी से घबराने की ज़रूरत नहीं है। सही समय पर पहचान और लगातार इलाज से मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकता है। वे कहते हैं – “मिर्गी जेनेटिक कारणों से हो सकती है, लेकिन हर केस में यह माता–पिता से बच्चों में ट्रांसफर नहीं होती। शुरुआती पहचान और इलाज ही सबसे बड़ा समाधान है।”