
गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व इस बार और भी खास होने वाला है। 10 दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव भक्तों के लिए उत्साह, आस्था और ऊर्जा का संगम है। घर-घर में बप्पा मोरया के स्वागत की गूंज सुनाई देती है। लोग अपने घरों और पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन आधुनिक समय में यह पर्व केवल भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। यही कारण है कि इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
क्यों चुनें इको-फ्रेंडली गणेशजी?
पारंपरिक रूप से गणेश प्रतिमाएं पॉप और प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनाई जाती हैं, जिनमें रासायनिक रंगों का प्रयोग होता है। विसर्जन के बाद ये प्रतिमाएं न तो जल्दी घुलती हैं और न ही जलाशयों में मिलने वाले जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित रहती हैं। वहीं इको-फ्रेंडली गणेशजी मिट्टी, प्राकृतिक रंगों और जैविक सामग्री से बनाए जाते हैं। ये न केवल आसानी से जल में विलीन हो जाते हैं, बल्कि मिट्टी पौधों के लिए खाद का काम भी करती है।
2025 में यदि आप बप्पा को अपने घर लाने का विचार कर रहे हैं तो इको-फ्रेंडली प्रतिमा चुनकर आप धरती मां को भी आशीर्वाद दे सकते हैं।
गणपति के विशेष आशीर्वाद
हिंदू धर्म में गणेशजी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि गणेशजी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
सफलता का आशीर्वाद – गणेशजी को आरंभ का देवता माना जाता है। कोई भी नया कार्य, व्यापार, पढ़ाई या घर बनवाने जैसे कार्य उनकी पूजा से शुरू किए जाएं तो सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
ज्ञान और बुद्धि का वरदान – विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए गणपति की उपासना अत्यंत लाभकारी है। उनकी कृपा से स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है।
समृद्धि और धन की प्राप्ति – माना जाता है कि गणेशजी की कृपा से लक्ष्मीजी का वास भी घर में होता है, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
संकट निवारण – गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी जीवन में आने वाली रुकावटें उनके आशीर्वाद से दूर हो जाती हैं।
पर्यावरण और आस्था का संगम
गणपति केवल आस्था ही नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी सिखाते हैं। जब हम इको-फ्रेंडली प्रतिमा को अपनाते हैं, तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी स्वच्छ जल, स्वच्छ पर्यावरण और स्वस्थ जीवन का उपहार देते हैं। यह कदम यह संदेश देता है कि भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रकृति के संरक्षण से भी जुड़ी हुई है।
इस गणेश चतुर्थी अपनाएं ये उपाय
मिट्टी से बनी प्रतिमा खरीदें।
प्रतिमा पर प्राकृतिक रंग और सजावट का उपयोग करें।
घर पर ही बालकनी या गमले में विसर्जन करें।
पूजन में प्लास्टिक की बजाय फूल-पत्तियों का प्रयोग करें।
