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इस दिन मनाई जाएगी हरियाली तीज, बिना इस व्रत कथा के अधूरी रह जाएगी आपकी पूजा

हिंदू धर्म में हरियाली तीज के त्योहार का काफी खास महत्व माना जाता है। हरियाली तीज का त्योहार कभी जुलाई तो कभी अगस्त महीने में मनाया जाता है। सुहागन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती है। साथ ही पूजा-पाठ करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं शिव और पार्वती जी की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करती है। ऐसा करने से उनका वैवाहिक जीवन सुख-संपत्ति से भर जाता है। साथ ही पति की लंबी आयु होती है। आइए जानते हैं कि इस बार हरियाली तीज किस दिन पड़ रही है। साथ ही क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा।

कब मनाई जाएगी हरियाली तीज?

वैदिक पंचांग के मुताबिक सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 26 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 27 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट पर तिथि खत्म होगी। ऐसे में हरियाली तीज का पर्व 26 जुलाई को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाने वाला है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 16 मिनट से 04 बजकर 58 मिनट
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 57 मिनट
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 57 मिनट
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट

हरियाली तीज की व्रत कथा

पौराणिक कथा की माने तो माता पार्वती ने कम उम्र में ही भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कामना कर ली थी। इसके बाद जब वह विवाह योग्य हो गईं, तो पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर देखने लगे। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी बात को सुनकर योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज को भी श्रीहरि दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी।

इस बात को लेकर परेशान हुई माता पार्वती

लेकिन इस बात को सुनकर माता पार्वती चिंतित हुई, क्योंकि उन्हें पति के रूप में शिव जी को पाना था। इसी वजह से माता पार्वती तपस्या करने के लिए जंगल में चली गईं। वहां पर उन्होंने अपनी तपस्या के द्वारा महादेव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली, तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से हर साल सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज के पर्व को मनाने की शुरुआत हुई।

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