
हार्ट अटैक को आमतौर पर आर्टरी ब्लॉकेज से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हाल के शोध और डॉक्टरों की मानें तो महिलाओं में कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने की एक और बड़ी वजह सामने आई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, तनाव और अस्वस्थ जीवनशैली हार्ट अटैक के जोखिम को तेजी से बढ़ा रहे हैं।
कार्डियोलॉजिस्ट के अनुसार, 30 से 40 वर्ष की आयु की कई महिलाएं बिना किसी ब्लॉकेज के भी हार्ट अटैक का शिकार हो रही हैं। इसे SCAD (Spontaneous Coronary Artery Dissection) कहा जाता है, जिसमें हार्ट की नसें अचानक फट जाती हैं और ब्लड फ्लो बाधित हो जाता है। यह स्थिति खासतौर पर उन महिलाओं में देखने को मिलती है जो अत्यधिक तनाव, हार्मोनल बदलाव (जैसे प्रेग्नेंसी के बाद) या लंबे समय से नींद की कमी से जूझ रही होती हैं।
इसके अलावा, धूम्रपान, जंक फूड का अत्यधिक सेवन, मोटापा और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी दिल की बीमारियों के खतरे को दोगुना कर देती है। कई बार महिलाएं अपने लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं और उन्हें सामान्य कमजोरी या थकान मानकर नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए, तनाव कम करना चाहिए और संतुलित आहार एवं व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, अचानक पसीना आना, चक्कर या थकान को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
साफ है कि हार्ट अटैक अब केवल उम्रदराज लोगों की बीमारी नहीं रह गई है। युवा महिलाएं भी इसकी चपेट में तेजी से आ रही हैं और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है लाइफस्टाइल और तनाव। BY SHRUTI KUAMRI