
गणेश चतुर्थी की शुरुआत भादो शुक्ल चतुर्थी को होती है और चतुर्दशी तिथि को विसर्जन किया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाने वाला है। भादो शुक्ल चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 1:54 मिनट से 27 अगस्त को दोपहर 3: 44 तक रहने वाला है। उदिया तिथि को ध्यान में रखते हुए गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त के दिन मनाया जाने वाला है। इसी दिन गणेश की मूर्ति की स्थापना होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है।

क्यों नहीं करते हैं गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल?
दरअसल पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार गणेश जी गंगा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे। उसी वक्त तीर्थ यात्रा पर निकली तुलसी गंगा के तट पर पहुंची और उन्होंने देखा कि युवा गणेशजी तपस्या में लीन हैं। गणेश जी की इस बात से तुलसी जी मोहित हो गई। उन्होंने गणेश जी से शादी करने की इच्छा जताई। ऐसा करते हुए उन्होंने गणेश जी का ध्यान भंग कर दिया। गणेश जी ने तुलसी जी का प्रस्ताव ये कहकर ठुकरा दिया कि वे ब्रह्मचारी हैं। विवाह प्रस्ताव ठुकराए जाने से नाराज तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके एक नहीं, बल्कि दो विवाह होंगे। ऐसे में गुस्साए गणेश जी ने उन्हें ये श्राप दे दिया कि उनकी पूजा में तुलसी चढ़ाना अशुभ माना जाएगा। इसके बाद से गणेश जी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।

कैसे करें गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा
बुधवार को सुबह जल्दी उठें और भगवान गणेश का ध्यान करें।इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें।अब एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करें।अब प्रभु को माला और दूर्वा घास अर्पित करें।इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।गणेश चालीसा का पाठ और मंत्रों का भी जप करें।अंत में बूंदी का लड्डू या फिर मोदक का भोग लगाएं।गरीब लोगों में अन्न, धन और भोजन का दान करें।
