
माता-पिता बनने का शौक हर कपल को होता है. बच्चे के आने की खुशी से पूरा परिवार खुश होता है. डिलीवरी के बाद महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक तनाव का सामना करना पड़ सकता है, जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं. जब भी “पोस्टपार्टम डिप्रेशन” की बात होती है, तो अधिकतर लोग इसे महिलाओं की समस्या मानते हैं, खासकर नवजात शिशु को जन्म देने वाली मां की होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या पुरुषों को भी प्रभावित कर सकती है? जी हां, हाल के अध्ययनों और मेडिकल रिसर्च से यह स्पष्ट हुआ है कि डिलीवरी के बाद पिता भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन (PPD) के शिकार हो सकते हैं.

क्या है पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, जो बच्चे के जन्म के बाद माता-पिता को प्रभावित करता है. यह केवल हार्मोनल बदलाव से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि नई जिम्मेदारियों, नींद की कमी, पार्टनर के साथ रिश्तों में बदलाव, और आर्थिक तनाव जैसी चीजें भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं.पुरुषों में PPD के कारण
1. नींद की कमी – नवजात शिशु की देखभाल में अक्सर नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे थकावट और मानसिक असंतुलन होता है.
2. जिम्मेदारियों का बोझ – पिता बनने के बाद आर्थिक और भावनात्मक ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं.
3. पार्टनर से दूरी महसूस करना – डिलीवरी के बाद मां का अधिक समय बच्चे को देने से पिता को अकेलापन महसूस हो सकता है.
4. स्व-आत्मविश्वास में कमी – क्या मैं अच्छा पिता बन पाऊंगा? इस तरह के सवाल पुरुषों को मानसिक रूप से परेशान कर सकते हैं.

पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
लगातार दुखी या चिड़चिड़े रहनाथकावट या ऊर्जा की कमीकाम में मन न लगनानींद से जुड़ी समस्याएंखुद को असफल महसूस करनाबच्चे या साथी से दूरी बनानाशराब या नशे की ओर रुझानआत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने के विचारसबसे जरूरी है कि इस स्थिति को पहचाना जाए और इसे शर्म या कमजोरी से न जोड़ा जाए. यदि कोई पुरुष खुद में ऊपर दिए गए लक्षणों को महसूस करता है, तो उसे परिवार के साथ खुलकर बात करनी चाहिए. काउंसलिंग, थेरेपी, और जरूरत पड़ने पर दवाइयों से भी इसे ठीक किया जा सकता है.
