
भारत में त्योहार केवल परंपरा नहीं बल्कि संस्कृति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक होते हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है शारदीय नवरात्रि। यह पर्व मां दुर्गा की भक्ति का महोत्सव है, जो शक्ति, आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम माना जाता है। हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक चलने वाला यह पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि 2025 की शुरुआत और समाप्ति
साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर (सोमवार) से होगी और इसका समापन 8 अक्टूबर (बुधवार) को विजयादशमी के साथ होगा। इन 10 दिनों तक घर-घर में माता रानी के भजन गूंजेंगे, व्रत-उपवास होंगे और शक्ति की आराधना के अद्भुत दृश्य देखने को मिलेंगे।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का प्रारंभ कलश स्थापना से होता है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस बार कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त है. तारीख: 29 सितंबर 2025. समय: सुबह 06:10 बजे से 07:30 बजे तक, यह समय विशेष रूप से पूजन और घटस्थापना के लिए उत्तम माना गया है।
कलश स्थापना विधि
नवरात्रि की सफलता और पूर्णता के लिए कलश स्थापना सही विधि से करना बेहद जरूरी है। सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध जल से साफ करें और वहां लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएं. मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उस पर जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश पर लाल चुनरी चढ़ाकर मां दुर्गा का आवाहन करें। दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।
शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री
ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी
चंद्रघंटा – शांति और वीरता की प्रतीक
कूष्मांडा – सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली
स्कंदमाता – कार्तिकेय की जननी
कात्यायनी – दुष्टों का संहार करने वाली
कालरात्रि – अंधकार और भय का नाश करने वाली
महागौरी – शांति और करुणा की देवी
सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की दात्री
हर दिन मां के एक स्वरूप की पूजा करके भक्त अपने जीवन की समस्याओं को दूर करने और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान रहस्य
शास्त्रों के अनुसार हर वर्ष मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर आती और जाती हैं। यह केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि समाज और प्रकृति के लिए शुभ-अशुभ संकेत भी माना जाता है।
2025 में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है।
इसका अर्थ है कि इस वर्ष समाज में सुख-समृद्धि, भरपूर वर्षा और शांति का संचार होगा। प्रस्थान घोड़े पर होगा।
यह इस ओर इशारा करता है कि वर्ष के अंत तक परिवर्तन और जागृति का माहौल बनेगा।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि केवल देवी की पूजा का पर्व नहीं, बल्कि आत्मशक्ति और साधना का समय है। व्रत रखने से व्यक्ति की इच्छाशक्ति और आत्मबल बढ़ता है।
कलश स्थापना और दुर्गा पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस अवधि में मां की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्रि 2025 भक्तों के लिए विशेष शुभ और कल्याणकारी मानी जा रही है। इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होने से जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होगी। वहीं, उनका प्रस्थान घोड़े पर होने से आने वाले समय में बदलाव और नई शुरुआत का संकेत मिलेगा। by shruti kumari
